Re: विजेता
नई दिल्*ली. लोकसभा चुनाव 2014 में भाजपा को ऐतिहासिक जीत मिली है। पार्टी ने दिल्*ली, राजस्*थान सहित कई राज्*यों की सभी सीटें अपने नाम कर ली हैं तो कई राज्*यों में दिग्*गज क्षेत्रीय पार्टियों का सूपड़ा साफ कर दिया है। भाजपा और मोदी की इस जीत पर नरेंद्र मोदी के बॉयोग्राफर नीलांजन मुखोपाध्याय की राय:
सोलहवीं लोकसभा के लिए हुए चुनाव हम सब के लिए चौंकाने वाले हो सकते हैं, लेकिन नरेंद्र मोदी के लिए यह परिणाम अपेक्षित ही था, क्योंकि 2011 के बाद से ही उन्होंने सुनियोजित रणनीति के तहत इसके लिए आगे बढ़ना शुरू कर दिया था। तब उन्होंने सद्भावना यात्रा शुरू की थी।
अटलबिहारी वाजपेयी सरकार के दौरान वे जरूर कुछ हाशिये पर आ गए थे। मगर 2004 के आम चुनाव में जब भाजपा की हार हुई तो उन्हें लगा कि अब वे केंद्र में प्रमुख भूमिका निभा सकते हैं। उसी दौरान लालकृष्ण आडवाणी ने पाकिस्तान में मोहम्*मद अली जिन्ना की कब्र पर जाकर उनके लिए सराहना के शब्द बोल दिए। वे संघ के निशाने पर आ गए। अब मोदी के लिए मैदान खाली था।
मोदी में हमें अति आत्मविश्वास नजर आता था पर वह सुविचारित रणनीति का नतीजा था। चुनाव में वोट शेयर देखिए। गुजरात में 59 फीसदी, मध्यप्रदेश में 54 फीसदी, महाराष्ट्र, राजस्थान उन्हें एकतरफा समर्थन मिला है। उन्हें पता था कि हिंदी का पट्टा महत्वपूर्ण तो है पर जादुई अंक के लिए पर्याप्त नहीं। इसलिए ऐसी सीटों पर फोकस किया, जिन्हें आमतौर पर उपेक्षित किया जाता है, गोवा, दमन-दीव, अंडमान। छोटी-छोटी सीटें।
फिर पारंपरिक प्रचार अभियान के साथ नए तौर-तरीके भी अपनाए। इसके अलावा उन्होंने एक नया फोर्स लाया। ये बाहर से आए टेक्नोक्रेट थे। ऐसे आयोजन किए जिसने मोदी को एक कमोडिटी बना दिया। याद कीजिए अगस्त में हैदराबाद में हुआ उनका वह भाषण जिसे सुनने के लिए पांच रुपए का टिकट खरीदना पड़ता था। इस सभा के लिए मोदी ने किसी सहयोगी दल की मदद नहीं ली।
थ्री डी होलोग्राम, चाय पार्टी, जैसे तरीके 18-23 साल के युवाओं को बहुत पसंद आए। जीवन में नई चीजों की तलाश करने वाली पीढ़ी को लगा कि यह आदमी इनोवेशन कर सकता है। नई चीजें ला सकता है। अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के अभियान की बड़ी चर्चा होती है मगर आने वाले दिनों में मोदी का अभियान केस स्टडी होना चाहिए। सितंबर 2013 से अब तक मोदी ने 450 भाषण दिए हैं, इसके जरिये वे बहुत बड़े इलाके तक पहुंचे।
भाषणों और दौरों के जरिये उन्होंने पहले जनता में स्वीकार्यता बढ़ाई और फिर मीडिया के पास पहुंचे। प्रचार के दौरान वे लगातार नए आइडिया फेंकते रहें फिर चाहे वह 100 मेगा सिटी बनाने की बात हो या बुलेट ट्रेनें चलाने की योजना। कांग्रेस ने मनरेगा जैसी योजनाओं से घर बैठे काम व दाम की बात की। मोदी ने कहा आप आइए हम मदद करेंगे और आप अपने सपने साकार करें।
दिसंबर में दिल्ली विधानसभा चुनाव में ‘आप’ की जीत के बाद वे थोड़े विचलित नजर आए पर उन्होंने कोई गलती नहीं की। वे अरविंद केजरीवाल की ओर से गलती होने का इंतजार करते रहें। केजरीवाल की चमक फीकी पड़ते ही उन्होंने 2002 के विकास के हिंदू मॉडल को आधुनिक रूप दिया और फिर जोरदार अभियान छेड़ दिया। नतीजा सबके सामने हैं।
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मैं क़तरा होकर भी तूफां से जंग लेता हूं ! मेरा बचना समंदर की जिम्मेदारी है !!
दुआ करो कि सलामत रहे मेरी हिम्मत ! यह एक चिराग कई आंधियों पर भारी है !!
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