Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
Quote:
Originally Posted by rajnish manga
तेरी नज़र ही कर गयी दुनिया से बेखबर
मेरी मजाल क्या थी कि दीवाना हो सकूँ
|
कोई ये कैसे बता ये के वो तन्हा क्यों हैं
वो जो अपना था वो ही और किसी का क्यों हैं
यही दुनिया है तो फिर ऐसी ये दुनिया क्यों हैं
यही होता हैं तो आखिर यही होता क्यों हैं
__________________
मैं क़तरा होकर भी तूफां से जंग लेता हूं ! मेरा बचना समंदर की जिम्मेदारी है !!
दुआ करो कि सलामत रहे मेरी हिम्मत ! यह एक चिराग कई आंधियों पर भारी है !!
|