Re: भोजपुरी कविता- दारू के खतिरा भागेला
नशाग्रस्त समाज की वास्तविक तस्वीर और उससे बचाव की जरुरत और उपाय के बारे में सोचना आवश्यक है. बहुत सुन्दर कविता.
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
|