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Old 22-05-2014, 12:20 AM   #241
rajnish manga
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Default Re: इधर-उधर से

सभी के मन में जान जाने का डर तो था लेकिन इससे भी बढ़ कर सारे बहुमूल्य ग्रंथों का पानी में डूब जाने और नष्ट हो जाने का खतरा भी सामने था. अब क्या किया जाये. वर्षों के मेहनत के बाद इकठ्ठा की हुयी इस ज्ञान राशि को यूँ ही डूब जाने दिया जाये. ह्युयेन सांग चिंता से भर उठा. तभी एक छात्र ने सुझाव दिया कि यदि नाव में वजन कम हो जाये तो इसके उलटने का खतरा कम हो जायेगा. पर यह कैसे होगा? तभी वह छात्र यह कह कर कि मेरी जान की कीमत इस ज्ञान के भण्डार से अधिक नहीं हो सकती, नाव से कूद कर नदी में छलांग लगा दी. इसके पश्चात, एक के बाद एक कई छात्र नाव से कूद गये और अथाह जलराशि में कई शरीर विलुप्त हो गये. नाव धीरे धीरे संभल गयी और कुछ ही देर में किनारे जा लगी. छात्रों के बलिदान को याद कर के ह्युयेन सांग की आँखे छलछला आयीं.

इतिहास हमें यह नहीं बता सकेगा कि उन युवक छात्रों में से कितने तैर कर नदी के किनारे तक पहुँच सके और कितनों ने अपने जीवन की पूर्ण आहुति दे दी. किन्तु मानव मात्र का ज्ञानार्जन हेतु तथा ज्ञान की वाहक बहुमूल्य पुस्तकों के प्रति जो श्रद्धा का भाव उस समय से लेकर आज तक देखने को मिलता है, वह कभी कम नहीं हुआ. इसे अलौकिक ही कहा जायेगा.

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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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