03-06-2014, 05:14 PM
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Re: आधार कार्ड: यूआईडीः यह कार्ड खतरनाक है ?.........
आधार कार्ड : यूआईडी : यह कार्ड कितना खतरनाक है ?.........
सरकार न तो संसद में और न ही मीडिया में यह साफ़ कर पाई है कि ऐसी क्या मजबूरी है कि देश के लोगों की जानकारियां ऐसी कंपनियों के हवाले किया जा रहा है, जिनका बैकग्राउंड न स़िर्फ संदिग्ध हैं, बल्कि ख़तरनाक भी है. अब यह समझ में नहीं आता है कि मनमोहन सिंह की सरकार यूआईडीएआई और उसके चेयरमैन नंदन नेलकानी को लेकर इतनी गोपनीयता क्यों बरत रही है. सारे क़ायदे क़ानून को ताक पर रखकर सरकार उन्हें इतना महत्व क्यों दे रही है. इसका क्या राज है. 2 जुलाई, 2010 को यूआईडीएआई की तरफ से बयान जारी होता है कि कैबिनेट सेक्रेटेरिएट में चेयरमैन की नियुक्ति का फैसला ले लिया गया है. योजना आयोग 2 जुलाई, 2009 के नोटिफिकेशन में यह बताया गया कि सक्षम प्राधिकारी यानी कॉम्पीटेंट अथॉरिटी के द्वारा यह पारित किया गया है कि नंदन नेलकानी, इंफोसिस के को-चेयरमैन, को यूनिक आईडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया का अगले पांच साल तक चेयरमैन रहेंगे.
यहां दो चूक हुई. उन्हें यूआईडी का चेयरमैन उस वक्त बनाया गया, जब वह इंफोसिस के को-चेयरमैन की कुर्सी पर विराजमान थे. मतलब यह कि कुछ समय के लिए वे यूआईडीएआई के साथ-साथ इंफोसिस के को-चेयरमैन बने रहे. अगर कोई दूसरा होता, तो वह दोनों जगहों से जाता. ग़ौरतलब है कि सोनिया गांधी को ऐसी ही ग़लती की वजह से त्यागपत्र देना पड़ा था, लेकिन नेलकानी का बाल भी बांका नहीं हुआ. दूसरी ग़लती यह कि नंदन नेलकानी ने कोई गोपनीयता की शपथ भी नहीं ली, जैसा कि हर कैबिनेट मंत्री को लेना होता है, लेकिन मनमोहन सिंह की सरकार ने उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा दे दिया :.........
चौथीदुनिया के सौजन्य से :.........
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