Re: शायरी में मुहावरे
मुहावरा > मुंह देखे की उल्फ़त
भावार्थ:
ऐसा प्रेम जो आमना सामना होने पर ही प्रगट होता है, पर इस पर भरोसा नहीं कर सकते.
उदाहरण:
न भूल ऐ आरसी ग़र यार से तुझको मुहब्बत है
भरोसा कुछ नहीं इसका ये मुंह देखे की उल्फ़त है
(आरसी = आईना, दर्पण)
(शायर: मिर्ज़ा रफ़ी सौदा)
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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