19-06-2014, 09:54 PM
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#497
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Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
Quote:
Originally Posted by dr.shree vijay
क्यों जल गया न ताब-ए-रुख-ए-यार देखकर,
जलता हूँ अपनी ताकत-ए-दीदार देखकर........
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निदा फाजली :
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रफ़्ता-रफ़्ता मेरी जानिब, मंज़िल बढ़ती आती है,
चुपके-चुपके मेरे हक़ में, कौन दुआएं करता है...
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