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Old 26-06-2014, 11:42 AM   #1
Markand Dave
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Default Short story-`नहीं चाहिए ।`

`नहीं चाहिए ।`



"अरे, गणपत, आज बेटी का पांचवां जन्म दिन है, ये चॉकलेट और खिलौने तो ले आना ज़रा..!"

कहते हुए सरकारी बाबू ने, प्यून गणपत के हाथ में, एक कागज़ थमा दिया ।

इतने में, एक फटेहाल किसान ने केबिन में आकर साहब के पांव छुए और उनके हाथ में कुछ रुपए थमा दिए..!

रुपए गिन कर, बाबू चिल्लाया, " ये क्या,१५०० रुपए कहे थे ना? ये तो चौदह सो हैं..!

सरकारी सहायता का चेक नहीं चाहिए क्या?"

बेबस चेहरे और हताश मन के साथ, गरीब किसान अपना सिर झुकाए खड़ा रहा ।
बाबू गुर्राया,"चल भाग, पंद्रह दिन बाद आना । अरे, गणपत इसे बाहर ले जा..रे..ए..ए..!"
सरकारी बाबू के टेबल पर एक फटी सी थैली रखते हुए,
गरीब किसान की पाँच साल की नन्ही बिटिया ने, कहा,

" नहीं चाहिए बापू, ये खिलौने-चॉकलेट,
मैं अपना जन्मदिन नहीं मनाऊंगी..!"


मार्कंड दवे । दिनांकः ०५-०४-२०१४.





Last edited by rajnish manga; 28-06-2014 at 08:39 AM.
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