Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
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Originally Posted by rajnish manga
ख़ुशी के दाम दे कर क्यों कोई रोना खरीदेगा
दे कर किश्तों में खुशियाँ यहाँ सोना खरीदेगा
(रजनीश मंगा)
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गूँजते रहते हैं तनहाई में भी दीवार ओ दर
क्या सदा उस ने मुझे दी थी के घर में रह गई
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मैं क़तरा होकर भी तूफां से जंग लेता हूं ! मेरा बचना समंदर की जिम्मेदारी है !!
दुआ करो कि सलामत रहे मेरी हिम्मत ! यह एक चिराग कई आंधियों पर भारी है !!
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