Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
Quote:
Originally Posted by rajnish manga
इस तरह पूज रही है दुनिया
कोई मुझसे भी बड़ा हो जैसे
कोई तहरीर मुकम्मल न हुई
मुझसे हर लफ्ज़ ख़फ़ा हो जैसे
(अमीर कज़लबाश)
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सबसे दिलचस्प घड़ी पहले मिलन की होती
फिर तो दोहराव है बाकी की मुलाक़ातों में
नीरज
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मैं क़तरा होकर भी तूफां से जंग लेता हूं ! मेरा बचना समंदर की जिम्मेदारी है !!
दुआ करो कि सलामत रहे मेरी हिम्मत ! यह एक चिराग कई आंधियों पर भारी है !!
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