03-07-2014, 01:06 PM
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साईं बाबा नाम है विश्वास का
साईं बाबा नाम है विश्वास का ^ ^
पंडितजी चुपचाप बैठे अपने भविष्य के विषय में चिंतन कर रहे थे| उन्हें पता ही नहीं चला कि कब एक आदमी उनके पास आकर खड़ा हो गया है| जब पंडितजी ने कुछ ध्यान न दिया तो, उसने स्वयं आवाज दी|
"राम-राम पंडितजी|"
पंडितजी चौंक गये|
"क्या बात है, किस सोच में पड़े हो ?"
पंडितजी ने देखा तो देखते ही रह गये| उनके सामने लक्ष्मण खड़ा था|
"लक्ष्मण...तुम...|"
"हां पंडितजी|"
"कब आये?" -पूछा पंडितजी ने|
"बस सीधे आपके पास ही चला आ रहा हूं|" लक्ष्मण पंडितजी के पास बैठ गया|
पंडितजी अभी भी उसे एकटक देखे जा रहे थे| कोई दो साल के बाद लक्ष्मण को देखा था| लक्ष्मण शिरडी का मशहूर बदमाश था| दो साल की सजा भुगतने के बाद अब वह जेल से सीधा आ रहा था| लक्ष्मण का इस दुनिया में कोई न था| वह एकदम अकेला था| आवारागर्दी, चोरी, गुंडागर्दी, छेड़छाड़, मारपीट करना ही उसके काम थे|
लक्ष्मण बोला - "क्या बात है, बड़े चुपचाप और उदास से बैठे हैं आज आप ?"
"हां|" - पंडितजी ने एक गहरी सांस छोड़ते हुए कहा|
"क्या बात हो गयी ?"
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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