Re: साईं बाबा नाम है विश्वास का
साईं बाबा के पास उनके शिष्य बैठे थे| लक्ष्मण ने देखा, साईं बाबा कोई विशेष नहीं है| दुबला-पतला, इकहरा बदन है| एक ही हाथ में जमीन सूंघ जाएगा| हां, चेहरे पर एक अजीब-सा आकर्षक-तेज अवश्य था|"
साईं बाबा ने लक्ष्मण की ओर नजर उठाकर भी न देखा| अजनबी होने के बावजूद उससे पूछताछ न की|
शिष्यगण चले गए| लक्ष्मण अकेला बैठा रह गया|
उसकी उपस्थिति की सर्वथा उपेक्षा कर साईं बाबा आँखें मूंदकर लेट गए| मौका अच्छा जानकर, लक्ष्मण बाबा को धमकी देने के बारे में विचार कर रहा था|
इससे पहले कि वह कुछ बोलता, साईं बाबा ने स्वयं कहा -
"मैं जानता हूं कि तू मुझे मारने आया है|"
यह बात सुनते ही लक्ष्मण बुरी तरह से चौंक गया| वह बुरी तरह घबरा गया|
"मार, मार दे मुझे और अपनी इच्छा पूरी कर ले|"
साईं बाबा का चेहरा बुरी तरह से तमतमा गया|
लक्ष्मण को काटो तो खून न था| वह काठ के समान जड़ होकर रह गया| साईं बाबा का रौद्र रूप देखकर वह घबरा गया| उसका शरीर पसीने से तर-ब-तर हो गया|
"कोई हथियार लाया है या खाली हाथ आया है?" - साईं बाबा बोले|
वह घबरा गया|
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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