Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
Quote:
Originally Posted by dr.shree vijay
हम उन की तस्वीर दिल में छिपाए बैठे हैं,
वीरान ज़िन्दगी में एक गुल खिलाये बैठे हैं.....
(मीर हसन)
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हमारी तरह तो कोई भटकता ही नहीं रहता
यहाँ तो आजकल बच्चे ठिकाने ढूंढ लेते हैं
(बद्र वास्ती)
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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