Re: आजा हंस लें
एक पंडित जी ट्रेन में सफ़र कर रहे थे.
उनके डिब्बे में उनके साथ केवल एक और आदमी सवार था.
भोजन का समय हुआ तो उस आदमी ने एक बड़ा सा पैकेट खोला और उसे पंडित जी के आगे करता हुआ बोला-
"लो,खाओ."
"यह क्या है?"-पंडित जी संदिग्ध भाव से बोले.
"चिकिन सेंडविच."
"राम,राम,राम." हम मांसाहार नहीं करते,भैया."
उस आदमी ने वह पैकेट एक तरफ़ रख दिया.अपने बैग से एक बोतल निकाली और उसे पंडित जी की ओर बढ़ाता हुआ बोला-
"लो,एक घूंट व्हिस्की पी लो."
"राम,राम,राम"-पंडित जी बोले-"व्हिस्की और मैं पियूं ?"
"अबे ओ पंडित जी के बच्चे"-वो आदमी अचानक क्रोधित हो उठा.
उसने बोतल जबरन पंडित जी को थमा दी और जेब से पिस्तौल निकालकर उसकी ओर तानता हुआ बोला-
"व्हिस्की पीता है या मारुं गोली."
पंडित जी के छक्के छूट गये.उन्होंने बड़ी हड़बड़ी में व्हिस्की का एक बड़ा सा घूंट पिया,थोड़ा खांसे और फ़िर बोले-
"भैया,फ़िर सेंडविच भी दे दो."
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मैं क़तरा होकर भी तूफां से जंग लेता हूं ! मेरा बचना समंदर की जिम्मेदारी है !!
दुआ करो कि सलामत रहे मेरी हिम्मत ! यह एक चिराग कई आंधियों पर भारी है !!
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