रमनभाई को पता चला कि उसके अकाउंटेंट ने उसे 60 करोड़ का चूना लगाया है। अकाउंटेंट गूंगा और बहरा था। उसे नौकरी पर इसलिए लगाया था की बहरा होने के कारण कभी कोई राज की बात सुन नहीं सकेगा, और गूंगा होने के कारण कभी कोर्ट में उसके खिलाफ गवाही नहीं दे सकेगा। रमन भाई को गूंगे-बहरे के इशारों की समझ नहीं थी, इसलिए पूछताछ के लिए अपने दाहिने हाथ भीखू को ले गया, जिसे इशारों की समझ थी। रमन भाई ने अकाउंटेंट से पूछा, 'बता तूने जो मेरे 60 करोड़ उड़ाए हैं वो कहां छुपा रखे हैं?'
भीखू ने इशारों में अकाउंटेंट से पूछा कि उसने पैसे कहां छुपाए।
अकाउंटेंट ने इशारे में बताया, 'मैं कुछ नहीं जानता तुम किन पैसों की बात कर रहे हो।'
भीखू ने रमन भाई से कहा, 'भाई बोल रहा वो कुछ नहीं जानता।'
रमन भाई को गुस्सा गया और उन्होंने पिस्तौल अकाउंटेंट की कनपट्टी पर रखकर कहा, 'अब फिर पूछ!'
भीखू ने इशारों में अकाउंटेंट से पूछा, 'तुमने अगर नहीं बताया और भाई ने घोड़ा दबा दिया तो समझ ले तेरी वाट लग जाएगी।'
अकाउंटेंट ने डरकर इशारा किया, 'अच्छा! मैं बताता हूं! मैंने पैसे मेरे चचेरे भाई संतु के घर के पिछवाड़े में गाड़ दिए थे!'
रमन भाई ने पूछा, 'क्या बोल रहा है ये भीखू?'
भीखू ने जवाब दिया, 'भाई… बोल रहा है… कि आप में हिम्मत ही नहीं उसे गोली मार सकें!'