19-07-2014, 01:34 PM
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Re: बॉलीवुड शख्सियत
सोहराब मोदी ने अपनी फिल्मों के विषय ऐतिहासिक चुने। 1939 में ‘पुकार’, 1941 मे ‘सिकंदर’ और 1943 में ‘पृथ्वी बल्लभ’ बनाकर उन्होंने दर्शकों को इतिहास का दर्शन कराया। ‘पुकार’ में मुगल शासक जहांगीर के कारनामे थे। इसमें संग्राम सिंह की भूमिका में सोहराब मोदी ने अमिट छाप छोड़ी थी। ‘सिकंदर’ मे उन्होंने स्वयं भारतीय राजा पुरु का रोल किया था। सोहराब मोदी ने स्त्री-पुरुष संबंधों को भी फिल्मों का विषय बनाया। इनमें ‘भरोसा’ और ‘जेलर’ प्रमुख है। ‘पृथ्वी बल्लभ’ मे एक उम्रदराज रानी (दुर्गा खोटे) का संबंध पृथ्वी (सोहराब मोदी) के साथ दिखाया गया था, लेकिन जिस एक फिल्म ने सोहराब मोदी को गहरे आर्थिक संकट में धकेला‘वह झांसी की रानी’ थी।
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फिल्म 'पृथ्वीवल्लभ' का पोस्टर व कुछ दृष्य
आजादी मिलने के बाद मोदी ने राष्ट्रीय भावना को जगाने के लिए यह फिल्म बनाई थी, जो फ्लॉप हो गई। इस महंगी और नए टेक्नीकलर फिल्म में उन्होंने लीड रोल अपनी पत्नी महताब को दिया था। सोहराब मोदी अपने समय की खूबसूरत हीरोइन नसीम को प्यार करते थे लेकिन शादी हुई महताब से। ‘झांसी की रानी’ की विफलता से सोहराब मोदी को काफी झटका लगा था, लेकिन साल डेढ़ साल बाद ही ‘मिर्जा गालिब’ बनाकर खुद को पुन: चर्चा में ला दिया। इस फिल्म को राष्ट्रीय अवार्ड हासिल हुआ। बाद में उन्होंने ‘गुरु दक्षिणा’ बनाने की घोषणा की, लेकिन वह पूरी नही हो पाई। कैंसर ने उन्हें दबोच लिया। सोहराब मोदी मीना कुमारी से काफी प्रभावित थे। उन्होंने मीना कुमारी पर एक फिल्म भी बनाई थी। इस फिल्म की काफी चर्चा हुई थी। सोहराब मोदी जिन फिल्मों में अपने किरदार से चर्चित हुए, उनमें ‘यहूदी’ भी थी। आज यही लगता है कि नई हवा का कालचक्र नही चला होता तो सोहराब मोदी लंबे समय तक बने रहते, फिर भी वह लगभग पाँच दशक तक छाये रहे, जो कम न था।
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
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Last edited by rajnish manga; 19-07-2014 at 01:44 PM.
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