Re: बॉलीवुड शख्सियत
सामाजिक फिल्मों निर्माण के क्षेत्र में भी सोहराब मोदी का योगदान स्तुत्य है क्योंकि सामाजिक विषयों पर फिल्म निर्माण के जरिए भी उन्होंने समाज में व्याप्त अनेक तरह की विसंगतियों एवं समस्याओं से समाज को रू-ब-रू करवाया. उनकी इस कोटि की फिल्मों में शराबखोरी की समस्या पर बनीं फिल्म ‘मीठा जहर’, तलाक की समस्या पर बनीं फिल्म ‘डाइवोर्स’, आम आदमी की दैनिक समस्याओं पर बनीं फिल्म ‘मँझधार’, कैदियो की समस्याओं पर बनीं फिल्म ‘जेलर’ आदि काफी सफल रहीं थीं. उनकी अन्य सामाजिक फिल्मों में भरोसा, दौलत, खान बहादुर, फिर मिलेंगे, मेरा घर मेरे बच्चे, समय बड़ा बलवान आदि विशेष रुप से उल्लेखनीय है.
फिल्म निर्माण, निर्देशन एवं अभिनय के दौरान सोहराब मोदी ने अनेक पुरस्कार देश-विदेश में जीते. इनमें दादा साहेब फालके पुरस्कार (1979) के अलावा मिर्जा गालिब (1954) फिल्म के लिए राष्ट्रपति का स्वर्ण-रजत पुरस्कार प्रमुख है.
सोहराब मोदी को याद करना मतलब कि ठाठ बाट से फिल्मी जीवन जीने वालों को याद करना है. परदे पर चित्रित अपनी खूबसूरत अदाकारी एवं बेहतरीन सृजनात्मकता के कारण सोहराब मोदी सदियों तक भारतीय फिल्माकाश पर विराजमान रहेंगे, इसमें कोई संदेह नहीं.
1940 में सोहराब मोदी ने भरोसा [bharosa 1940]मूवी बनाईथी जो अपने वक़्त से आगे की फिल्म थी. इसमें वैध संतानऔर अवैध संतान में लव अफेयरहो जाता है. पत्निओं की अदला बदलीहो तो यह भी हो सकता है. इस फिल्म में अवैध संबंधों के दुखद परिणाम को दिखाया गया था.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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