Re: कन्या का जन्म एक त्रासदी नहीं
बहुत सुन्दर विचार. ज़रुरत इस बात की है कि यह विचार 120 करोड़ जनता के दिलो-दिमाग में इस प्रकार समा जाये, जिस प्रकार हम सांस लेते हैं पर इसका हमें आभास तक नहीं होता. ठीक इसी प्रकार परिवार व समाज के लिये कन्या के महत्व को समझें और आत्मसात कर लें. हृदय में धड़कन और धमनियों में रक्त के प्रवाह की तरह ही समाज में कन्या का होना अनिवार्य है. कोई किन्तु-परन्तु नहीं चाहिये.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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