Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
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Originally Posted by bindujain
हम पर इतने किए उपकार सदा है माना
हम को हर बार मगर आप गिनाते क्यों हो
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हालात के हाथों ये परेशान बहुत हैं
लोगों को सँभलने में ज़रा देर लगेगी
मासूमियाँ घेरे हैं, बड़ी देर से दिल को
अब इसके बहलने में ज़रा देर लगेगी
(श्रवण कुमार वर्मा)
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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