Re: जूज़र और शमरदल का ख़ज़ाना
यदि मेरा काम कर दोगे तो मैं उसका बहुत अच्छ इनाम तुम्हें दूंगा। जोज़र ने कहा बताओ क्या करना है? उस व्यक्ति ने खच्चर की खुर्जीन से एक रेशमी रस्सी निकाली और कहने लगाः मेरे हाथ इस रस्सी से बांध दो और मुझे तालाब में फेंक दो और फिर थोड़ी देर प्रतीक्षा करो। यदि तुम्हें मेरे हाथ नज़र आएं तो तुम अपना जाल तालाब में डाल कर मुझे बाहर निकाल लो किंतु यदि तुम ने मेरे पैर देखे तो समझ लो कि मैं मर चुका हूं और उस दशा में मेरा खच्चर और उसकी खुर्जीन लेकर बाज़ार चले जाना वहां शमीआ नामक एक यहूदी व्यापारी का पता करना । जब वह मिल जाए तो उस के पास जाकर उसे मेरा खच्चर और खुर्जीन दे देना वह तुम्हें सौ सोने के सिक्के देगा।
उससे सिक्के लेना और अपना राह लग जाना। जोज़र ने उसकी बात स्वीकार कर ली। उस व्यक्ति को जब जोज़र ने पानी में फेंका तो कुछ देर बाद उसे उसके पैर नज़र आये और वह समझ गया कि वह मर चुका है। उसने खच्चर और खुर्जीन उठायी और बाज़ार गया। शमीआ को खोज निकाला और खच्चर व खुर्जीन उसके हवाले कर दी । शमीआ ने उसे सौ सोने के सिक्के दिये और उससे कहा, किसी को इस बात की सूचना न होने पाए। जोज़र ने सिक्के लिए और अपने घर की ओर चल पड़ा। रास्ते में उसे नानवाई की दुकान नज़र आयी। वह रोटी की दुकान में गया और उससे जो क़र्जा लिया था वह अदा किया। कुछ रोटियां और मांस खरीदा और अपने घर की ओर चल पड़ा।
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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