Re: एक लम्बी प्रेम कहानी
वसंत पंचमी की तैयारी को लेकर बच्चा कमिटि की बैठक हुई। इस बैठक में सरस्वती पूजा के दिन नाटक करने की तैयारी की गई। किसी ने दो रूपया चंदा दिया तो किसी ने पांच, और फिर अभिभावकों से पैसे मांग कर सरस्वती पूजा की तैयारी मे बाल मंडली जुट गई जिसमें रीना भी थी। यह आठवीं कक्षा की बात है। एक दिन में नाटक की रूपरेखा तैयार की गई। नाटक में मैं कृष्ण बना और रीना राधा। इस नाटक में मेरे कई साथियों ने भाग लिया। इस नाटक में मेरा दोस्त गुडडू भी भाग लिया था जो अभी एक फाइव स्टार होटल का मैनेजर है हरीश सागर के नाम से जाना जाता है। खैर पूजा समाप्त हुई हम लोगों ने प्रतिमा विसर्जन के क्रम मे खूब उधम मचाया।
अब आते है प्रेम रोग पर .... इस रोग के मौसम में जब होली आती तो अलग ही उत्साह लेकर। रंग लगाना है तो उसे ही लगाना है और वह बचने का प्रयास करती। हंसी ठीठोली होती और रूठना मनाना भी चलता। होली के दिन अपने साथियों के साथ होली खेलता। पहले कादो मिटटी की होली होती फिर रंग-अबीर चलता। होलैया की टीम ढोलक झाल लेकर गली गली धूमता जिसमें बुढ़े, जवान और बच्चे सभी होते और महिलाऐं छतों पर से कादो-रंग देती और होलैया गाली के रूप फगुआ पढ़ता।
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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