मातापिता के चरणों मे समर्पित
दोस्तों , आज आपके लिए एक छोटा सा सूत्र लेकर आई हूँ जब से हिंदी फोरम में आइ, तब से बहुत मन करता था की मै भी कुछ लिखूं, पर हिंदी भाषा लिखना नही आता था मुझे .. सो मै मजबूर थी .. पर आज मेरे bhai रफीक जी ने मुझे हिंदी लिखना सिखलाया उनकी बहुत आभारी हूं,. आपके सामने ये सूत्र प्रस्तुत कर रही हूँ शायद आपको पसंद आये .
चूँकि माता पिता की वजह से ही हमारा जीवन है इसलिए पहला सूत्र उनके चरणों में ही समर्पित कर रही हूँ
....जिनके साथ बचपन खेला , जिनसे सुनी लोरियां मैंने ,जिसका साया छावं थी मेरी , जिनके लिए थी एक नन्ही परी मै, जिनकी आँखों में था इंतज़ार मेरे आने का , जिनके लिए था मेरे मन में प्यार जो थे मेरा जीवन, जो है आज भी मेरा तन मन , जिनसे बनती थी जीवन बगिया मेरी , जिनसे हुआ गुले बहार चमन मेरा , अब एक मीठी सी ठंडी सी याद है उनकी मन में ,जो भर देती हैं इन अंखियों में असुवन जल क्यूँ वो सहारे छीन गए क्यूँ वो हमसे दूर हो गए ,.. जिनसे पाया था ये जीवन जिनसे पाया था ये जीवन ....
Last edited by soni pushpa; 28-08-2014 at 05:18 PM.
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