Re: एक लम्बी प्रेम कहानी
‘‘आखिर हम सब भी गांव में रहबै की नै’’। पंचायती होने की बात हुई पर इस पंचयती में लड़की पक्ष के लोग को इसकी सूचना कोई नहीं दे सका, कारण एक ही था घर की इज्जत है सड़क पर क्या लाना। कमलेश राम मेरा दोस्त था। मुझसे दो क्लास सीनियर था। पूरे कहरटोली में एक मात्र उसके बाबूजी नौकरी करते थे, रेलवे में। उससे दोस्ती के अभी कुछ ही महीने हुए थे। दोस्ती का कारण भी दुश्मनी बनी थी। हुआ यूं था कि कमलेश राम के घर के पास एक सरकारी चापाकल गाड़ा गया था जो कि मैं जिस कुंए से पानी लाता था उससे थोड़ी दूरी पर था पर चापाकल से पानी लाना ज्यादा आसान था सो मैं भी अपने धर के लिए पानी वहीं से लाने लगा। पर कमलेश राम ने इसका विरोध किया और उसने यह कह कर चापाकल का हैंडल खोल लिया कि बाभन का लड़का इस चापाकल से पानी नहीं लेगा। फिर क्या था हो गया हंगामा। मैं कमलेश से वहीं भिड़ गया। उठा पटक होने लगी, गांव के लोग जुट गए और कहार होकर बाभन से लड़ो है।
मैं उस लड़ाई में जीता तो नही पर जब लोग जमा हो गए तब सभी ने छुड़ा दिया और मैं चापाकल से पानी लेकर ही दम लिया। उसके बाद कमलेश को घेर कर पीटने का प्लान बभनटोली के लड़कों के द्वारा बनायी गयी जिसकी भनक कमलेश को लगी और उसने मेरे क्रिकेट टीम के आलराउंडर खिलाड़ी संजय राम से इसकी खबर मुझको भिजबाई कि गलती हो गई। उसका कॉलेज आना जाना बंद हो गया क्योंकि कॉलेज का रास्ता भी बभनटोली होकर गुजरता था। मेरे मन में भी कुछ नहीं था और फिर संजय मेरा लंगोटिया यार भी था। मेरी आदत भी उस समय अजीब थी और मैं कहरटोली और दुसधटोली के लड़कों के साथ ही ज्यादा समय देता था। मैं जिस फाइव स्टार क्रिकेट टीम का कप्तान था वह इन्हीं सबसे मिल कर बनी हुई थी। तुला फास्टर, टिंकू स्पीनर और अनवर हीटर।
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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