Re: एक लम्बी प्रेम कहानी
इसका कारण भी था। गांव में छोटे किसान के घर से होने की वजह से मैं जात को कम और वर्ग को अधिक समझता था और इसलिए मेरे विचार भी इनके साथ ही ज्यादा मिलते थे।
खैर, संजय के इस प्रस्ताव के बाद से कमलेश के साथ मेरी दोस्ती हो गई और जिन लोगों ने मेरे मुददे को लेकर कमलेश को पीटने की योजना बनाई वह फैल हो गयी।
पर आज नेपला सिंह ने उसकी पिटाई देवी स्थान के पास घेर कर कर दिया। बाद मंे जब कमलेश ने इस पिटाई पर से पर्दा उठाया तो मैं हक्का बक्का रह गया।
‘‘काहे ले पिटलकौ हो’’
‘‘संवरिया के फेरा में हलै, जब उ दुत्कार देलकै तो साला हमरा पर खिसयाल रहो है।’’
मैं उसके साथ ही शाम में टहलने लगा। कमलेश के बारे में काफी लोगों ने मुझे समझाया कि वह ठीक लड़का नहीं पर उस समय कौन अच्छा और कौन बुरा यह कौन समझता था। कमलेश का संवरिया नाम की एक सांवली सी लड़की से संबध था इस बात को उसने मेरे साथ सांझा भी किया था। गांव मंे इसकी चर्चा भी खुब रही पर किसी को कुछ हाथ नहीं लगी थी सो सभी चुप थे पर अब बात बिगड़ गई थी और आज सभी जगह यह चर्चा हो रही थी कि संवरिया पेट से है
बचपन से ही यह बात सालती रहती थी की जिसे लोग समाज कहते हैं वह कई चेहरों वाला होता है पर एक बात सबसे गंभीर यह देख रहा था कि छोटी छोटी बातों पर अपनों पर भी कीचड़ उछालने वाला समाज घाव को छुपाने वाला है और संवरिया के साथ भी ऐसा ही हुआ।
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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