Re: वाह वाह क्या बात हें :.........
लड़ाई :
अर्ज किया है :
जब से बेग़म ने मुझे मुर्गा बना रखा है
मैनें नज़रों की तरह सर भी झुका रखा है ।
बर्तनों, आज मेरे सर पे बरसते क्यों हो
मैनें तो हमेशा से तुमको धुला रखा है ।
पहले बेलन ने बनाया था मेरे सर पे गुमड़
और अब चिमटे ने मेरा गाल सुजा रखा है ।
सारे कपड़े तो जला डाले हैं बेग़म ने
तन छुपाने को बनियान फटा रखा है ।
वही दुनिया में मुक़द्दर का सिकंदर ठहरा
जिसने खुद को अभी शादी से बचा रखा है ।
पी जा इस मार की तलख़ी को भी हँस कर आज
मार खाने में भी क़ुदरत ने मज़ा रखा है :........
(by - kuldeep pandey)
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