Re: लौह-ओ-कलम (स्याही और कलम)
जस्टिस आनन्द नारायण मुल्ला का एक चित्र
वो कौन है जिन्हें तौबा की मिल गई फुरसत,
हमें गुनाह भी करने को ज़िंदगी कम है.
नज़र जिसकी तरफ़ करके निगाहें फेर लेते हो
क़यामत तक फिर उस दिल की परेशानी नहीं जाती
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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