Re: एक लम्बी प्रेम कहानी
‘‘देखो बउआ इ जे समाज है वह किसी भी सुरत में सिर्फ निंदा ही करता है और उन्होंने सुनाया कि एक आदमी जब बुढ़ा हो गया तो उसने अपने बेटा को बुला कर कहा कि बेटा अब तुम बड़े हो गए हो अतः चलो तुम्हें दुनियादारी समझा देता हूं और उसने एक घोड़ा लिया तथा उसे पैदल ही लेकर चल पड़ा, बाप बेटा साथ साथ। कुछ दूर जाने के बाद लोगों ने कहना शुरू कर दिया- अरे यह क्या करते हो, घोड़ा के रहते पैदल चलते हो? फिर बाप घोड़ पर बैठ गया और बेटा लगाम पकड़ कर चलने लगा। रास्ते में मिलने वाले लोगों ने फिर निंदा की, सठीया गया है बुढ़ा, बुढापे में धोड़ा चढ़ता है और बेटा को पैदल चला रहा है? फिर बेटा को घोड़ा पर बैठा दिया और खुद लगाम पकड़ कर चलने लगा और तब लोगों ने कहना प्रारंभ कर दिया-अरे घोर कलयुग आ गया। बेटा घोड़ा पर बैठ कर जा रहा है और बाप से लगाम खिंचबा रहा है? अब अंतिम बिकल्प के रूप में दोनों बाप-बेटा घोड़ा पर चढ़ गए तो लोगो ंने फिर कहना प्रारंभ कर दिया। देखो देखो कितने पागल लोग है, एक घोड़ा पर दो-दो आदमी सवार हो गये। जरा भी दया-मया नहीं है।.....
‘‘खाली अपने अपने मस्ती मारमहीं हो, हमरो हिस्सा है।’’
रजनीश सिंह ने मेरी ओर इशारा करके जब यह कहा तो मेरे देह में आग लग गई, फिर क्या था अपने से दुगुनी उम्र के रजनीश सिंह के साथ भिड़ गया। पता नहीं कहां से शक्ति आ गई और उसे पटक भी दिया। रजनीश सिंह नशे में भी था जिससे मुझे बल मिल गया। गुथ्म-गुथ्थी हुई और उसके चेहरे पर दे दना-दन, कई घूंसे धर दिए। यह सब कुछ, कुछ ही क्षण में हो गया और तब तक अलग-बलग के लोग दौड़ कर आए और दोनों को अलग किया। सभी लड़ाई की वजह जानना चाहते थे पर दोनों में से कोई भी वजह नहीं बताना चाहता। फिर रजनीश सिंह बाद में देख लेने की धमकी देकर वहां से चला गया।
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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