14-09-2014, 01:47 PM
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#6
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Re: .............मन...............
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Originally Posted by rajat vynar
एक कविता को comedy denouement के साथ देखकर मैं विस्मित रह गया. प्रायः कविताओं में comedy denouement नहीं होता, क्योंकि कविता तो किसी घटना की एक झाँकी मात्र होती है. प्रायः मैं अपनी कविताओं में comedy denouement नहीं देता, tragic denouement देता हूँ, क्योंकि दुःखांत (tragic) घटनाएँ पाठकों के मन में शीघ्रतापूर्वक रच-बस जाती हैं. कविता कहानी तो होती नहीं जो comedy denouement के बारे में सोचा जाए. यहाँ पर comedy से तात्पर्य सुखान्त से है, न कि हास्य से. comedy denouement के साथ एक अभूतपूर्व कृति की प्रस्तुति के लिए धन्यवाद, सोनी पुष्पा जी. रफीक जी के मत से मैं भी सहमत हूँ कि ‘कुछ भी नया नही तेरे लिए ये सब, चल उठ अब हिम्मत कर’ पंक्ति में दम है, और जीवन में बहुत ही उपयोगी है . फिर भी मैं comedy denouement की चंद पंक्तियों के पश्चात कविता के अन्त में पुनः कुछ संदेहात्मक शोक पंक्तियों की पुनरावृत्ति के औचित्य को समझ नहीं पाया.
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बहुत बहुत धन्यवाद रजत व्यानार जी ..."मन " कविता पर टिपण्णी के लिए ...
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