23-09-2014, 07:58 PM
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#8
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Diligent Member
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Re: ज़िन्दगी गुलज़ार है
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Originally Posted by pavitra
आपसे सहमत हूँ मैं, जो पाने की अभिलाषा हो वो देना शुरू करें तो अपने आप हमें वो ही चीज़ मिलना शुरू हो जाएगी।
पर इस स्वार्थी दुनिया में आज सभी पाने की ही अभिलाषा रखते हैं इसलिए मैंने लिखा था कि - ऐसा क्या करें जो ये सब हमें मिले।
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लावण्या जी, सबसे पहले आपके नए उपनाम पवित्रा जी के रूप में आपका स्वागत है. ध्वनि-ज्योतिष के अनुसार आपके नए नाम में पे, रे, अव् जैसे कई धनात्मक और सकारात्मक कंपन है. इस टिप्पणी के बारे में मेरा कथन यह है कि यह एक असम्भव नियम है. ‘कुछ पाने’ के बदले उसके समतुल्य ‘कुछ और’ देने का प्रस्ताव भी मान्य होना चाहिए. अतः अपवाद नियमों को भी साथ में लागू किया जाना चाहिए. हमें विस्मृत नहीं करना चाहिए कि देश में पहले से ही धारा 37 लागू है!
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