Re: एक लम्बी प्रेम कहानी
कहीं खेत खलिहान में बैठे हुए देर शाम झिंगुर की करकश अवाज भी डरावनी नहीं लगती और न ही सियार के हुआं हुआं मुझे कुछ सुनाई देता। अजीब सी तन्हाई और नैराश्य ने आकर अपनी आगोश में मुझे जकड़ लिया था।
जीवन की तल्ख जमीन पर पांव रखते ही सपनों की सच्चाई सामने आने लगी। मन में किसी तरह का रोजगार कर कमा खा लेने की विचार ख्याली बन गए। पहली कोशीश ट्युशन पढ़ाने की सोंची पर इसमें जितनी कठोर बात सुनने को मिली उससे यही लगा की शायद जीवन की जमीन इतनी ही कठोर मिलेगी। गांव के मास्टर साहब शहर में जाकर ट्युशन पढ़ाने का काम करते थे और मुझे पहली झलक के रूप में उनसे मदद की उम्मीद जगी और रास्ते में जब वे साईकिल से जा रहे थे तभी हमने उन्हें रूकवाया। शिष्टाचार निभाते हुए प्रणाम किया और फिर सकुचाते हुए बोला-
‘‘सर हमरो एकागो टीशन धरा देथो हल त कुछ रोजी रोजगार हो जइतै हल।’’
‘‘काहे हो, कहां तो डाक्टर बने बाला हलहीं, की होलऔ। मइया तो बड़ी बड़ाई करो हलौ।’’
‘‘की होलई मास्टर साहब इ ता तो जनबे करो हो, मदद कर सको हो ता कर हो और एकागो ट्यूशन पकड़ा दहो।’’
‘‘ट्यूशन की पढ़इमीं हो, ओकरा से अच्छा कटोरा ले के भीख मांग।’’
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
Last edited by rajnish manga; 30-09-2014 at 10:25 PM.
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