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Originally Posted by rafik
ज़रूरत नही पड़ती, दोस्त की तस्वीर ki
जरुरत नहीं पडती, दोस्त की तस्वीर की.
देखो जो आईना तो दोस्त नज़र आते हैं, दोस्ती में..
येह तो बहाना है कि मिल नहीं पाये दोस्तों से आज..
दिल पे हाथ रखते ही एहसास उनके हो जाते हैं, दोस्ती में..
नाम की तो जरूरत हई नहीं पडती इस रिश्ते मे कभी..
पूछे नाम अपना ओर, दोस्तॊं का बताते हैं, दोस्ती में..
कौन केहता है कि दोस्त हो सकते हैं जुदा कभी..
दूर रेह्कर भी दोस्त, बिल्कुल करीब नज़र आते हैं,
दोस्ती में..सिर्फ़ भ्रम हे कि दोस्त होते ह अलग-अलग..
दर्द हो इनको ओर, आंसू उनके आते हैं , दोस्ती में..
माना इश्क है खुदा, प्यार करने वालों के लियेपर
हम तो अपना सिर झुकाते हैं, दोस्ती में..
ओर एक ही दवा है गम की दुनिया में क्युकि..
भूल के सारे गम, दोस्तों के साथ मुस्कुराते हैं, दोस्ती में
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अति सुन्दर कहानी और कविता दोनों ही , सच कहा आपने दोस्त और दोस्ती मानव को विधाता से मिली एक अनमोल दें कहें या भेट मिली है ... दोस्ती का महत्व सुदामा कृष्णा से सुरु हुआ और आज जब भी दोस्ती की बात आती है , उनका जिक्र हुए बिना नही रहता ... दोस्तों से खुलकर आपने मन की बातें कर सकता है इन्सान . हर सुख दुःख में दोस्त काम आते हैं और जब जब आपने साथ छोड़ देते हैं तब दोस्त साथ देते हैं
बहुत प्यारी होती है दोस्ती ... थैंक्स bhai इतना प्यारा विषय यहाँ रखने के लिए .