Re: एक लम्बी प्रेम कहानी
देर तक संवेदनाओं का ज्वार उठता गिरता रहा। दोनों ने इस विपरीत घड़ी में एक दूसरे का हाथ नहीं छोड़ने का निर्णय लिया। चाहे जो हो। साथ देखेगे।
अब अंतिम निर्णय करना ही होगा। तय हो गया। परसों घर से भाग जाना है। उसने कल रात अपना सामान मुझे लाकर देने की बात कही। ले जाने वाला सब सरिया लेना है।
सबकुछ वैसा ही नहीं होता जैसा की हम सोचतें है और वही हो रहा था। सोंचा था क्या, हो गया क्या? पर इस सब के बीच कशमकश जारी थी। हां उसमें अंतर आया था और वह यह कि जहां कल तक कभी कभी अपनी जिंदगी के बारे मे सोचता, वहीं आज हर पल उसी पर विचार कर रहा था। पर इस सोंच-विचार के निहातार्थ बहुत लधु था। क्योंकि वैसा कुछ हो नहीं रहा था जो मैं सोंच रहा था। फिर भी निर्णय के अंतिम पड़ाव पर आकर ही यह खत्म होना था और तब तक लिए यह जारी था। हां, आस पास की घटनाओं और परिस्थितियों का सीधा असर जिंदगी पर पड़ती है और यह हो रहा था। सालों से मनोरंजन के नाम पर एक अदद रेडियो सुनने की आदत थी और उसमें शामिल थी विविध भारती। देर रात विविध भारती को सुनते हुए एक गाना ने जिंदगी में कठोर निर्णय लेने को वाध्य कर दिया। यह गीत लगातार बजा करता थी और संयोग कि आज रात भी बजने लगा-
‘‘जो सोंचते रहोगे
तो काम न चलेगा
जो बढ़ते चलोगे
तो रास्ता मिलेगा।’’
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
Last edited by rajnish manga; 18-10-2014 at 10:39 PM.
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