घंटा हिला-हिला के!
पुरानी हिंदी फिल्मों में आपने कई पूर्वजन्म की मनोरंजक कहानियाँ देखी होंगी. पूर्वजन्म की कहानियाँ बड़ी मज़ेदार हुआ करती थीं. वस्तुतः पूर्वजन्म की कहानी वाली फिल्मों में किसी खास मकसद से नायक और नायिका का दूसरा जन्म हुआ करता था और इसमें सबसे मज़ेदार बात यह होती थी कि नायक या नायिका में से किसी एक को ही अपने पूर्वजन्म की कहानी याद रहती थी. जैसे- कहानी के नायक को याद है किन्तु नायिका को नहीं. अब नायिका को याद दिलाने के लिए नायक तरह-तरह की युक्तियाँ किया करता था. जैसे- पूर्वजन्म में गाए गीतों को दोबारा गाकर नायिका को पूर्वजन्म की याद दिलाने की कोशिश करना. कभी-कभी तो होता यह था कि किसी भी युक्ति से नायिका को अपने पूर्वजन्म की याद आती ही नहीं थी ..और जब तक पूर्वजन्म की याद न आये तब तक नायिका नायक की बात को बकवास ही समझेगी. कहानी के अंत में थक हारकर नायक भगवान की शरण में किसी मंदिर में जाकर एक भक्ति गीत गाता था जिससे भगवान की शक्ति से नायिका को पूर्वजन्म की याद आ जाए. उदाहरण के लिए प्रस्तुत है- वर्ष १९५६ में लोकार्पित ‘आस्तिक’ फिल्म का एक भक्ति-गीत-
ओ जिसका साथी है भगवान..
उसको क्या रोकेगा आँधी और तूफ़ान..
गगन चूर हो जाए ज़मीं चाहे धरती में धंस जाए..
तूफ़ानों की गोद में चाहे सारा जग खो जाए..
पाँव न रुकने पाए..
ओ जिसका साथी है भगवान..
उसको क्या रोकेगा आँधी और तूफ़ान..
जिसके शीश पे हाथ हज़ारों छू ना कोई पाएगा..
हरि नाम से पर्वत तिनका बन जाएगा..
धूल में मिल जाएगा..
ओ जिसका साथी है भगवान..
उसको क्या रोकेगा आँधी और तूफ़ान..
भक्त-हरि का बन्धन तो ज्यों दीपक और बाती..
उसी ज्योति से ये जलती है उसमें ही मिल जाती..
ओ जिसका साथी है भगवान..
उसको क्या रोकेगा आँधी और तूफ़ान..
(घंटा हिला-हिला के)
ओ जिसका साथी है भगवान..
ओ जिसका साथी है भगवान..
ओ जिसका साथी है भगवान..
ओ जिसका साथी है भगवान..
ओ जिसका साथी है भगवान..
ओ जिसका साथी है भगवान..
गीत के अंत में नायक ‘ओ जिसका साथी है भगवान..’ की पंक्तियों पर इतनी जोर-जोर से मंदिर का घंटा हिलाता था कि भगवान की शक्ति से नायिका को पूर्वजन्म की याद आ जाया करती थी. अब पूर्वजन्म की कहानियाँ आती कहाँ हैं!
Last edited by Rajat Vynar; 19-10-2014 at 05:28 PM.
|