Re: ‘मुहूर्त शॉट’ के लिए कितना बली है साढ़े तीन म
व्यक्ति विशेष के लिए शुभ या अशुभ समय निकालने के लिए दक्षिण भारत में एक अति प्राचीन गूढ़ एवं दुर्लभ ज्योतिषीय पद्धति है— ‘वर्ग-बेला दशा पद्धति’. इस वर्ग-बेला दशा पद्धति में जन्मकालीन नक्षत्र/राशि और चन्द्रकला के आधार पर प्रत्येक जातक को कई वर्गों में बाँटकर प्रत्येक वर्ग के लिए चल रही बेला-दशा के आधार पर व्यक्ति विशेष के लिए शुभ और अशुभ समय का ज्ञान किया जाता है. दक्षिण भारत में इस प्राचीन वर्ग-बेला दशा पद्धति का उपयोग मंत्र-यंत्र-तंत्र द्वारा किसी व्यक्ति विशेष को नुकसान पहुँचाने के उद्देश्य से किया जाता रहा है. इसीलिये इस वर्ग-बेला दशा पद्धति को अत्यधिक गुप्त रखा गया. यह वर्ग-बेला दशा पद्धति देखने में बहुत सरल लगती है किन्तु दक्षिण भारत में इस विषय पर उपलब्ध तमिल पुस्तकों में भी आपस में मतान्तर है. इस वर्ग-बेला दशा पद्धति द्वारा व्यक्ति विशेष के लिए कोई समय कितना शुभ या कितना अशुभ है, उसका प्रतिशत सही-सही ज्ञात हो जाता है. इस गूढ़ विषय पर अभी और शोध करने की आवश्यकता है. अभी तक के शोध के अनुसार व्यक्ति विशेष के लिए दक्षिण भारतीय वर्ग-बेला दशा पद्धति द्वारा प्राप्त 100% पूर्ण शुभ समय यदि साढ़े तीन मुहूर्त के शोधित काल में पड़ जाता है तो निःसंदेह वह साढ़े तीन मुहूर्त उस व्यक्ति विशेष के लिए पूर्ण रूप से बली होगा, अन्यथा नहीं. अतः साढ़े तीन मुहूर्त पर विश्वास करके अपनी आँखें बंद करके कोई कार्य करने से पहले यह अवश्य सोचिये कि यह साढ़े तीन मुहूर्त विशेषतः मेरे लिए कितना बली है? एक फिल्म निर्माता-निर्देशक के लिए तो यह सोचना और अधिक आवश्यक हो जाता है क्योंकि दाँव पर करोड़ों रुपए लगे होते हैं!
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