27-10-2014, 04:35 PM
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Re: खयालों..... के..... समंदर
Quote:
Originally Posted by soni pushpa
कभी हसाती कभी रुलाती ये खयालों की दुनिया
कभी ख़ुशी कभी ग़म देजाती ये खयालो की दुनिया
कभी पुरानी यादों की बारात ले आती ये ख्यालों की दुनिया
कभी आँखों में खुशियों के सपने भर जाती ये ख्यालों की दुनिया
......
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इस कविता में ख्यालों ही ख्यालों में आपने खट्टे-मीठे, कडवे-कसैले, हँसते और उदास क्षणों को शामिल कर लिया है. सच है इन्हीं विविधताओं से ही यह जीवन निर्मित होता है. बहुत सुंदर. चार पंक्तियाँ मेरी ओर से भी प्रस्तुत हैं:
बड़ी मोहक है दुनिया ये ख़यालों कल्पनाओं की.
ख़ुशी की, नाखुशी की, वर्जनाओं, आस्थाओं की.
सुखद यादों की बारातें हैं ममता की दुआएं भी,
और कहीं आंसू समेटे झांकियां हैं यंत्रणाओं की.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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