अंगूठे के परिमाण वाली अति लघू स्वरूप और सूक्ष्म आत्मा मनुष्य के भीतर सदा विद्यामान रहती है ।
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Disclaimer......! "फोरम पर मेरे द्वारा दी गयी सभी प्रविष्टियों में मेरे निजी विचार नहीं हैं.....! ये सब कॉपी पेस्ट का कमाल है..."
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Last edited by Sikandar_Khan; 11-03-2011 at 01:19 PM.
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