Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
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Originally Posted by bindujain
हादसों की दहशतें हैं गाड़ियों का शोर है
शहर में मौसम कहाँ है फ़ाग और मल्हार के
ए.एफ.'नज़र'
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कफ़स में मुझसे रूदादे चमन कहते न डर हमदम
गिरी है जिसपे कल बिजली वो मेरा आशियाँ क्यों हो
(मिर्ज़ा असदुल्लाह खां ग़ालिब)
कफ़स = क़ैद, पिंजरा / रुदादे चमन = उपवन की गाथा
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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