जीवन की सीख (Jiwan ki Seekh)
“हां, अब बताइये, क्या कहना चाहते हैं,” उसने हमसे कंपनी की स्कीम के बारे में पूछा. हमने उसका शुक्रिया करते हुये स्कीम के बारे में बताया.
हम उस लड़की और उसके पापा के व्यवहार के अंतर से हैरान हो रहे थे. पहले एक व्यक्ति हमसे भिखारी की तरह ट्रीट कर रहा था और दूसरी ओर उसकी पुत्री ने हमें इंसान का दर्जा देते हुये बातचीत की. उसने मुझे और मेरे मित्र को मामूली सेल्समैन होने के बावजूद सम्मान देते हुये अपने घर में बिठाया. यह देख कर मेरी आँखों में नमीं आ गई और मैंने दो क्षण के लिये अपना मुंह फेर लिया. उस लड़की की इंसानियत देख कर उसके प्रति मेरा मन सम्मान व प्रशंसा से भर गया.
उस लड़की ने न सिर्फ हमारी बात सुनी बल्कि स्कीम के मुताबिक हमसे नए कोल्ड ड्रिंक के कार्टन भी लिये. हमने यह वादा किया कि उन्हें समय समय पर सप्लाई मिलती रहेगी. हमने उनका धन्यवाद किया और वहां से बाहर आ गए. वह दिन मेरे लिये एक महत्वपूर्ण दिन था. उस दिन मुझे व्यवहारिक जीवन की बहुत बड़ी शिक्षा मिली थी.
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