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बर्लिन की दीवार
बर्लिन दीवार के विध्वंस की पृष्ठभूमि इस प्रकार है कि 7 मई 1989 को पूर्व जर्मनी (जिसकी सत्ता कम्युनिस्ट शासकों के हाथ में थी और जो सोवियत संघ द्वारा समर्थित थे) के लोगों ने संसदीय चुनाव में हिस्सा लिया. परिणाम क्या होंगे लोग जानते थे, क्योंकि एक बार फिर चुनावों में धांधली हुई. सत्ताधारियों का दावा था कि 98 फीसदी वोट उन्हें मिले. यहां से विरोध की शुरुआत हुई और अगले दिन लाइपत्सिष की सड़कों पर प्रदर्शनकारी उतर चुके थे.
1989 की जुलाई में वारसा संधि वार्ता हुई. सोवियत संघ के राष्ट्रपति मिखाएल गोर्बाचेव ने ब्रेजनेव की नीति खारिज कर दी. इससे सोवियत संघ के समाजवादी पड़ोसी के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप के अधिकार खत्म हो गए. इसके बाद से उनके पड़ोसी देशों को अपनी राष्ट्रीय समस्याओं का हल खुद निकालना था.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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