Re: Malika-e-Gazal Begum Akhtar
मलिका-ए-ग़ज़ल बेग़म अख्तर
वो चौदहवीं की रात
एक बार बेगम अख़्तर जवानों के लिए कार्यक्रम करने कश्मीर गईं. जब वो लौटने लगीं तो अफ़सरों ने उन्हें विह्स्की की कुछ बोतलें दीं.
कश्मीर के तत्कालीन मुख्यमंत्री शेख़ अबदुल्लाह ने श्रीनगर में एक हाउस बोट पर उनके रुकने का इंतज़ाम करवाया था. जब रात हुई तो बेगम ने वेटर से कहा कि वो उनका हारमोनियम हाउस बोट की छत पर ले आएं. उन्होंने अपने साथ गईं रीता गांगुली से पूछा, ''तुम्हें बुरा तो नहीं लगेगा अगर मैं थोडी सी शराब पी लूँ?" रीता ने हामी भर दी. वेटर गिलास और सोडा ले आया.
बेगम ने रीता से कहा, "ज़रा नीचे जाओ और देखो कि हाउस बोट में कोई सुंदर गिलास है या नहीं? ये गिलास देखने में अच्छा नहीं है.'' रीता नीचे से कट ग्लास का गिलास ले कर आईं. उसे धोया और उसमें बेगम अख़्तर के लिए शराब डाली. उन्होंने चांद की तरफ़ जाम बढ़ाते हुए कहा, ''अच्छी शराब अच्छे गिलास में ही पी जानी चाहिए.''
रीता याद करती हैं उस रात बेगम अख़्तर ने दो घंटे तक गाया. ख़ासकर इब्ने इंशा की वो गज़ल गा कर तो उन्होंने उन्हें अवाक कर दिया.
'कल चौदहवीं की रात थी, शब भर रहा चर्चा तेरा
कुछने कहा ये चांद है, कुछने कहा चेहरा तेरा'
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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