Re: एक लम्बी प्रेम कहानी
गुस्से से उसका चेहरा लाल था जैसे किसी ने नागीन को छेड़ दिया हो, उसने टका सा जबाब देकर सबको चुप कराने की कोशिश की या अपने कृत को सही ठहराने की, पर जो हो उसने सच सबके सामने लाकर खड़ा कर दिया।
समाज में पवित्रता का पैमाना ही अलग होता है, छुपा हुआ पाप, पाप नहीं होता और दिखने वाला प्यार पवित्र नहीं होता।
इतने पर जब उसके बड़े चाचा ने कहा
-‘‘केतना छिनार है इ छौंड़ी, चल ले चल ऐकरा। काट के फेंक देबै। कुल पर कलंक लगा देलक, बच के कि करतै।’’
लगा जैसे रीना के देह पर किसी ने जलता हुआ तेल छिट दिया हो।
‘‘हां तों जे अपन भबहू:छोटे भाई की बीबीः से दबर्दस्ती मुंह काला करके और हल्ला करे के डर से जला के मार देलहो इ सब कलंक नै ने लगलो। बड़की साधू बनो हा, हमरे से बेटी लिखाबो हलो लेटर और रात रात भर मिलो हलो मन्टूआ से और जान के भी चुप रहला।’’
चटाक। रीना के चेहरे पर तमाचा लगा। ‘‘चल लेकर ऐकर घर, बचके की करतै।’’
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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