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Old 12-11-2014, 12:23 AM   #1
soni pushpa
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Default ________आत्म हत्या __________





जीवन का अंत जब जानबूझकर किया जाय तब वो आत्म हत्या बन जाती है लेकिन क्यों? और keise एईसी परिस्थिया जीवन में उत्पन्न हुआ करतीं है जो सबके(क्यूंकि हरेक इन्सान को अपना जीवन बेहद प्यारा होता है) प्यारे जीवन को समाप्त करने के लिए इन्सान को मजबूर करती है .. सामान्यतः दैनिक जीवन में हम देखते सुनते हैं की कोई पैसो की तंगी की वजह से आत्महत्या करते हैं, तो कोई सामाजिक अपमान के डर से आत्महत्या करते हैं, तो कोई जीवन के दुखों से तंग आकर आत्महत्या करते हैं
किन्तु विद्यार्थियों की आत्महत्या का अकड़ा उन दिनों बढ़ जाता है जब वार्षिक परीक्षा के रिजल्ट , ( प्रमाणपत्र ) मिलते हैं .. हम इस बारे में यदि सोचे तो सिरफ़ विद्यार्थी इसके लिए दोषी नही होते उनके आत्महत्या करने के कारणों में से एक कारन माँ बाप के द्वारा या बड़े bhai बहनों के द्वारा दिया गया दबाव भी विद्यार्थी में एक डर बिठा देता है और दुसरे भी कई कारन है जिसकी चर्चा हम आगे करेंगे
आज मेरे इस ब्लॉग को लिखने का एक हेतु ये है की मैंने किसी से ये सच्ची घटना सुनी और मन किया की आप सबके साथ इसे शेयर करू .....

एक बाप और बेटा अकेले रहते थे. बेटा १७ साल का था १२ वि कक्षा का विद्यार्थी था वो . बेटे की माँ का देहांत हो चूका था ., और पापाजी रात दिन अपने व्यापार के लिए व्यस्त रहते थे ,.. बेटे के रिजल्ट आने के अगले दिन की रात थी बेटा पापा से मिलने आया तो देखता है की उसके पापा का कमरा अस्तव्यस्त पड़ा है और उसके पापा कई तरह के रंग से कुछ पोस्टर बना बना कर रख रहे हैं वो अपने पापा के पीछे खड़ा हो गया और सभी पोस्टर पे लिखे वाक्यों को पढ़ने लगा . एक पोस्टर पर कोयल और कौवे का चित्र था जिसके आधार पर छोटी सी कहानी समझाई गई थी की ,कोयल बीमार थी उसकी आवाज़ बैठ गई थी इसलिए KAUA उससे पूछ रहा था कोयल बहन अब क्या करोगे अब आपका तहुकना बंद हो गया है तब कोयल ने कहा तो क्या हुआ में फिर से अपनी आवाज़ को वापस लुंगी फिर से TAHUKUNGI . मै १२ वि कक्षा के विद्यार्थी जैसी नही हूँ की आत्महत्या करुँगी ..
दूसरा चित्र था जिसमे एक चीटी दीवाल पर चड़ना चहती है किन्तु बार बार निचे गिरती है फिर अंत में वो दीवाल के सबसे उपरी हिस्से तक पहुचती है और वह लिखा था देखा मैंने हार नही मानी इसलिए मुझे मेरी मंजिल मिल गई
तीसरे में एक राजा को युध्ध करते दर्शाया गया था और उस चित्र में वो रजा हार गया है एइसा बताया दुसरे चित्र में रा जा शत्रु पर विजय प्राप्त करने के लिए जोरशोर से दुगनी मेहनत से युध्द की तेयारी करते बताया था और तीसरे चित्र में राजा को विजयी होकर फ़तेह हासिल करके उसका राज्य वापस मिलने की ख़ुशी को दर्शाया गया था
एइसे और कई चित्र थे वहां जो उस लड़के के पापा ने बनाये थे लड़का जब वो सब पढ़ा चूका तब पापा ने उसकी और नजर की और पूछा बेटे इस वक़्त तुम यहाँ? तब बेटे ने कहा हाँ पापा मै आपसे अनुमति लेने आया हूँ , पापा ने कहा किसकी अनुमति ? बेटे ने कहा जब कल मेरा रिजल्ट आएगा तब आप कहे तो मै घर आने से पहले गावं के तालाब तक घूम के आऊंगा तो आपको कोई आप्पति तो नही न बाप ने कहा हाँ बेटा आप शौक से जाओ ..

दुसरे दिन रिजल्ट आया जिसमे लड़का फ़ैल हुआ वो तालाब तक गया भी किन्तु कुछ सोच्रकर घर आया और खूब रोने लगा अपने पापा के गले से लगकर तब पापा ने पूछा बेटा क्या हुआ बेटे ने कहा पापा मै फ़ैल हो गया और आपको अपना मुह बताने में मुझे शर्म आ रही थी इसलिए मै तालाब पर आत्महत्या करने ही गया भी और काल रात आपसे अंतिम बार मिलने आया था किन्तु आपकी लिखी और कही बातें मुझे याद आई और मै घर वापस आ गया तब पापा ने कहा बेटे मैंने ये पोस्टर तुम जेइसे बच्चो के लिए ही बनाये थे जिसे मैंने सुबह पाठशालाओ में भेजा क्यूंकि इस दिन कई विध्द्यार्थी जो अनुत्तीर्ण हो जाते है वो अपना आत्मविश्वास खो देते हैं और आत्महत्या जेइसा गलत कदम उठा लेते हैं वो ये नही सोचते की जीवन का अंत ही हर समस्या का हल नही और ये भी नही सोचते की उनके जाने के बाद उनके माँ बाप bhai बहन जो हैं उनका क्या होगा अरे वो तो फिर न जी सकते हैं न मर सकते हैं . जीवन ही बेकार हो जाता है उनका वो जब बच्चे हत्या करते हैं तब सिरफ़ और सिरफ़ आपनी हार को देखते हैं वो भूल जाते हैं की जीवन की एक हार जीवन का अंत नही उस हार को वो बड़ी जीत में बदल सकते हैं और ज्यदा मेहनत से पढाई करके और अच्छा रिजल्ट लाकरके .. जीवन एकबार मिलता है जिसे हमे हरेक मुश्किलों के बाद और ख़ुशी से जीना है सच्चा इंसान वही है जो हार और दुःख के समय आपनी हिम्मत न हारे और आगे बढे .. और सबसे बड़ी बात की जिस जीवन को हम बना नही सकते उसे मिटने का हमारा कोई अधिकार नही प्राण और आत्मा हमे भगवन ने दिए हैं उसे भला हम कैसे मिटा संकते हैं?

हर चीज़ के दो पहलु होते हैं हार है तो वहां जीत भी है ही .और दुःख है वह सुख भी है ही जरुरत है तो हमे समझने की बस.. और ... एक जरुरी बात ये कहना है मुझे उन माता पिता या अभिभावकों से की बच्चे जब पढाई करे तब उनपर किसी भी प्रकार का दबाव डालना ( पास होने के लिए) अच्छा नही है हर समय ये कहना की अछे नम्बरों से पास हो जाओ तो बहुत बड़े आदमी बनोगे आप ,. समाज में आपका नाम होगा . या ब्रेनी कहलाओगे आप इसलिए बहुत पढो पढो और पढो एइसा कहने वाले माँ बाप अपने बच्चो को होशियार बनाने की बजाय उन्हें और निचे गिराते हैं

और हर इन्सान को एक तराजू में नही तौला ज सकता न ? सबकी अपनी अपनी योग्यता होती है.. और आत्महत्या कायरता है न की महानता..आज कई उदहारण है हमरे जीवन में बड़े बड़े महानुभावो ने जीवन में कई बार असफलताओं का सामना किया था और आज समाज में साडी दुनिया में उनका कितना नाम है और जीवन के उछ शिखरों पर वें विराजमान है ..

सबसे बड़ा उदहारण हैं हमरे देश के प्रधानमंत्री जी जो बचपन में चाय बेचते थे किन्तु आज संघर्षो के बिच से हजारो निराशाओं से निकलकर वें इतने बड़े ओहदे को संभाले हैं और आज देश के उच्च स्थान पर बिराजमान है ... इसलिए कहा गया है मन के हारे हार है मन के जीते जीत अपनी हिम्मत को कभी कम न होने दे एक असफलता दूसरी हजारो सफलताओं की जन्ननी बन सकती है यदि आप हार न मान ले
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