13-11-2014, 08:59 AM
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#1027
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Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
Quote:
Originally Posted by dr.shree vijay
तेरी दोस्ती के इन बढ़ते हाथों का,
अब समझे हम मतलब ऐ दोस्त,
सुलाकर हमें,आगोश में मौत के,
बढ़ाकर कफ़न मुंह तक, ये खींचे.........
(अज्ञात)
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चंद खुशफहम खुशलिबासों को
दूसरे बेलिबास लगते हैं
कुछ दिनों तक नज़र न आयें तो
आम चेहरे भी खास लगते हैं
(अक़ील नोमानी)
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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