Re: साहित्यकारों के विनोद प्रसंग
साहित्यकारों के विनोद प्रसंग
जोश मलीहाबादी ने जिगर मुरादाबादी को छेड़ते हुए कहा, “क्या सबक लेने वाली हालत है आपकी. शराब ने आपको एक शराबी से मौलवी बना दिया और आप अपने स्थान को भूल बैठे. मुझे देखिये. मैं रेल के खंबे की तरह आज भी अपनी जगह पर खड़ा हूँ, जहाँ आज से कई साल पहले था.”
जिगर साहब ने जवाब दिया, “बिलकुल आप रेल के खम्बे हैं और मेरी ज़िन्दगी रेलगाड़ी की तरह है, जो आप जैसे हर खम्बे को पीछे छोडती हुई हर जगह से आगे अपना मुकाम बनाती जा रही है.”
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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