दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे
इस फिल्म की कहानी लन्दन से शुरू हो कर पंजाब के एक गाँव में ख़त्म होती है. पारंपरिक मूल्यों और सार्वभौमिक अहसास में लिपटी इस रोमांटिक कहानी ने भारतीय सिनेमा को नयी बुलंदियों तक पहुँचाया और फिल्म निर्माण के नए प्रतिमान प्रस्तुत किये. चौधरी बलदेव सिंह (अमरीश पुरी) मूलतः भारतीय हैं और पिछले कई बरसों से ब्रिटेन में रह रहे हैं. वह अपनी बीवी लाजवंती(फ़रीदा जलाल) और दो बेटियाँ, सिमरन (काजोल) और चुटकी (पूजा रूपरेल) के साथ लंदन मे रहते है. इतने साल लंदन मे रहने के बावजूद वे भारतीय संस्कृति और संस्कार में विश्वास रखते है और अपने बच्चों को भी वही तालीम देते है. उनका मानना है की वह सिर्फ़ पैसा कमाने के लिए लंदन मे है और एक दिन वापस अपने देश पंजाब लौट जाएँगे.
सिमरन अपने सपनो के राजकुमार का इंतज़ार करती है| पर उसे पता चलता है की उसकी शादी बचपन मे ही बलदेव के दोस्त के बेटे कुलजीत के साथ तय हो गयी थी| शादी से पहले वह अपने दोस्तो के साथ एक बार अपनी जिंदगी जीना चाहती है| बलदेव सिंह उसे युरोप घूमने की इज़ाज़त दे देते है इस शर्त पर की वह कभी अपने पिता का कहा नही टालेगी|
>>>