Re: सफलता के सूत्र :: देवराज के साथ
सफलता और प्रगति की मूल शर्त
किसी भी लक्ष्य की प्राप्ति में असफलता मिलने के कई कारण हो सकते हैं। परिस्थितियों की प्रतिकूलता, साधनों का अभाव, साथियों द्वारा असहयोग या उनका प्रतिरोध, कोई भी कारण प्रगति में अवरोध खड़े कर सकता है। ये सभी कारण बाहरी हैं। इन कारणों के उपस्थित होने पर न निराश होने की आवश्यकता है और न ही हताश होने की। बाह्य कारणों और अवरोधों को हटाया जा सकता है। मार्ग में पड़े पत्थर को लाँघकर या चट्टान पर चढ़कर आगे बढ़ा जा सकता है। नहीं बढ़ा जा सकता है तो एक ही कारण है व्यक्तित्व की दुर्बलता। मन में यदि थोड़ा साहस हो तो इन अवरोधों को पार किया जा सकता है। प्रतिकूल परिस्थितियों से लड़ने और उन्हें अनुकूल बनाने की सामर्थ्य मनुष्य के भीतर विद्यमान है। साधनों का अभाव भी दूर किया जा सकता है और नये साधन जुटाये जा सकते हैं। साथियों के प्रतिरोध को सहयोग में परिणत करना कोई कठिन काम नहीं है, पर अपना व्यक्तित्व ही दुर्बल हो तो क्या किया जा सकता है? सिवा इन अवरोधों का रोना रोते रहने के।
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मेरी चित्रशाला : दिल दोस्ती प्यार ....या ... .
तुमने मजबूर किया हम मजबूर हो गये ,...
तुम बेवफा निकले हम मशहूर हो गये ..
एक " तुम " और एक मोहब्बत तेरी,
बस इन दो लफ़्ज़ों में " दुनिया " मेरी..
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