Re: व्यक्तित्व के शत्रु
महापुरुषों की दृष्टि में क्रोध
“क्रोध और असहिष्णुता सही समझ के दुश्मन हैं.” - महात्मा गाँधी
“क्रोध एक तरह का पागलपन है.” - होरेस
“क्रोध मूर्खों के ह्रदय में ही बसता है.” - अल्बर्ट आइन्स्टाइन
“क्रोध वह तेज़ाब है जो किसी भीचीज जिसपर वह डाला जाये ,से ज्यादा उस पात्र को अधिक हानिपहुंचा सकता है जिसमे वह रखा है.” - मार्क ट्वेन
“क्रोध को पाले रखना गर्म कोयले को किसी और पर फेंकने की नीयत से पकडे रहने के सामान है; इसमें आप ही जलते हैं.” - महात्मा बुद्ध
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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