Re: व्यक्तित्व के शत्रु
महापुरुषों की दृष्टि में क्रोध
“मूर्ख मनुष्य क्रोध को जोर-शोर से प्रकट करता है, किंतु बुद्धिमान शांति से उसे वश में करता है।” - बाइबिल
“जब क्रोध आए तो उसके परिणाम पर विचार करो।” - कन्फ्यूशियस
“जो मनुष्य क्रोधी पर क्रोध नहीं करता और क्षमा करता है वह अपनी और क्रोध करनेवाले की महासंकट से रक्षा करता है।” - वेदव्यास
“क्रोध में मनुष्य अपने मन की बात नहीं कहता, वह केवल दूसरों का दिल दुखाना चाहता है।” - प्रेमचंद
“जिस तरह उबलते हुए पानी में हम अपना, प्रतिबिम्ब नहीं देख सकते उसीतरह क्रोध की अवस्था में यह नहीं समझ पाते कि हमारी भलाई किस बात में है।” - महात्मा बुद्ध
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
Last edited by rajnish manga; 31-12-2014 at 01:31 PM.
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