05-01-2015, 05:10 PM
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Re: प्रेम ... समय
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Originally Posted by Pavitra
वो प्रेम ही क्या जो समय के साथ फीका पड़ जाये ? …वो प्रेम नहीं हो सकता जो समय के साथ अपना स्वरुप बदल दे। …वो महज़ आकर्षण होता है जो समय के साथ फीका पड़ता है।
प्यार तो समय के साथ और गहराता है , फीका नहीं पड़ता। क्यूंकि समय प्यार को धैर्य, समझ , त्याग सिखा देता है जिससे प्यार और भी मज़बूत हो कर सामने आता है। प्रेम और शांति मानव स्वाभाव के मूल अंग हैं। ये हमारे अंदर हमेशा ही विद्यमान रहते हैं। जैसे पानी हमारे शरीर में हमेशा मौजूद रहता है और जब पानी की कमी हमें महसूस होती है जो हम कहते हैं कि हमें प्यास लगी है ठीक वैसे ही शांति और प्रेम हमारे अंदर ही मौजूद हैं , जब क्रोध , निराशा , उपेक्षा के कारण हमारे अंदर शांति और प्रेम की कमी होती है तब हम बाहर इनकी तलाश करते हैं।
अब आपने पूछा कि ऐसा क्या करें कि प्यार फीका न पड़े बल्कि और प्रगाढ हो जाये ? तो इसके लिए सबसे पहले ये जान लेना ज़रूरी है कि वास्तव में जिसे प्यार समझा जा रहा है वो प्यार है भी कि नहीं ?अगर वो प्यार नहीं है तो यकीन कीजिये वो ताउम्र ताज़ा नहीं रह सकता , वो समय के साथ फीका पड़ेगा ही। हाँ आपकी समझ , अपनापन , एक दूसरे के प्रति सम्मान उस रिश्ते की उम्र ज़रूर बढ़ा सकता है और कभी कभी उस रिश्ते को ताउम्र जीवित रख सकता है। पर यहाँ ध्यान दीजिये "रिश्ता" ताउम्र जीवित रहेगा उस रिश्ते में जिस प्यार की उम्मीद की जा रही है वो "प्यार" जीवित नहीं होगा।
और अगर वास्तव में रिश्ते में प्यार है तो फिर आपको किसी और से पूछने की जरूरत ही नहीं होगी कि प्यार फीका न पड़े इसके लिए क्या करें ? क्युकी जैसा मैंने पहले भी कहा प्यार फीका नहीं पड़ सकता।
प्यार सिर्फ प्यार होता है , बहुत प्यार - कम प्यार- सच्चा प्यार- झूठा प्यार ऐसा कुछ नहीं होता प्यार में। …। या तो प्यार होता है या तो प्यार नहीं होता। जो लोग कहते हैं कि उन्हें सच्चे प्यार की तलाश है वास्तव में वो भ्रमित लोग हैं। क्यूंकि प्यार तो होता ही वो है जो "सच्चा" है। बाकि आजकल आकर्षण व अपनेपन को भी लोग प्यार समझने की गलती कर लेते हैं , इसीलिए उन्हें प्यार के दूर हो जाने , फीके पड़ जाने या प्यार में धोखा मिलने का डर होता है।
हर व्यक्ति के लिए प्यार की अलग ही परिभाषा होती है जो प्यार हो जाने के बाद स्वयं ही समझ आती है। इसलिए हर इंसान को स्वयं ही इसकी खोज करनी चाहिए।
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बहुत बहुत सही कहा आपने पवित्रा जी .... मेरी भी कुछ ऐसी ही सोच रही है ...परन्तु ...
आपके लिए
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मेरी चित्रशाला : दिल दोस्ती प्यार ....या ... .
तुमने मजबूर किया हम मजबूर हो गये ,...
तुम बेवफा निकले हम मशहूर हो गये ..
एक " तुम " और एक मोहब्बत तेरी,
बस इन दो लफ़्ज़ों में " दुनिया " मेरी..
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