06-01-2015, 07:30 AM
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#10
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Re: प्रेम ... समय
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Originally Posted by pavitra
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जब तक आपके पास इस क्यों का जवाब रहेगा तब तक प्यार हो ही नहीं सकता। जिस दिन आपको कोई ऐसा मिल जाये जिसे प्यार करने के लिए आपके पास कोई वजह न हो तो समझ लीजियेगा कि यही प्यार है।
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Originally Posted by deep_
एक फिलोसोफी है, हर सवाल का जवाब कुदरत के अंदर छुपा हुआ होता है .....
मेरे मतानुसार प्रेम सागर की तरह है। ईसमें ज्वार-भाटा आ सकता है। तुफान, सुनामी आ सकती है। यह कभी उपर उपर से जम कर बर्फ भी बन सकता है। यह करोडो-अरबो जीव-जंतु का पोषक है और यह पुरे शहेर के शहेर भी डुबो सकता है।
लेकिन यह कभी सुखता नही है।
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पवित्रा जी, आपने बड़े तर्कपूर्ण तरीके से प्रश्न का उत्तर व समाधान देने की कोशिश की है और दीप जी ने दार्शनिक अंदाज़ में अपने विचार प्रस्तुत किये हैं. आप दोनों को इस विचार विमर्श के लिए धन्यवाद के पात्र हैं.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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